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बस एक नजर
देखने भर से तुम
जैसे ह्रदय मे उतर आती हो,
हज़ारों परियां
सुन्दरता का शगुन लेकर
जैसे आँखों मे ठहर जाती हो,
तुम्हारी हलचल को ही
तो सहेजता रहता हूँ हरपल
तुमसे निकली ,
तुम ही तो, मेरी कविता हो......!
मुझे देखकर
तुम कुछ कहती भी नहीं
लेकिन...
कविता-आस्तिक या नास्तिक?
उसने पूछा कि तुम आस्तिक हो या नास्तिक?
मैं कुछ ठिठका,क्योंकि इस बारे में सोचा न था अभी तक।
सोच के मैं बोला, इस बारे में मेरा जवाब नहीं है निश्चित ।
क्या है मेरी मनोदशा वास्तविक?
मैं आखिर आस्तिक हुं...
जब भी तन्हा होता हूं मैं आजकल,अक्सर याद आ जाता है बीता हुआ कल।
वो हसीन यादें वो यादगार लम्हे,
वो साथ में गुजरा हर एक पल।
हवा का हर एक झोंका जैसे कह रहा हो,
फिर से जीते हैं वो लम्हे, आ...
कविता - दो चेहरे
क्या तुमने कभी देखे हैं दो चेहरे वाले लोग ?
गर नहीं देखे तो अपने अंदर झांक ले ।
पूछ ले अपने अंतर्मन से, अंतर्रात्मा को ताक ले ।
क्या तेरे दो चेहरे नहीं ?
एक चेहरा जो दिखता है...
एक बस सफर के दौरान बस में लिखे वाक्य “सोचो,साथ क्या जाएगा”को पढ़ कर इस कविता का विचार मन में आया था।
सोच,साथ क्या जाएगा?
“अनमोल बड़ी है ये जिंदगी,खुशी से इसे बीता ले तू।
बड़े बड़े हैं सपने तेरे,हकीकत इन्हें...
कविता – नए प्रतिबिम्ब
खो गए हैं
वक्त के आईने से,
जो सपने
संजोए थे मैंने,
समेटने की,
कि थी कोशिश बहुत,
पर बिखर गए
सैलाब बन कर।
धूमिल होते आईने पर
उभर रहे हैं,
प्रतिबिम्ब नए नए !
मिलते नहीं निशाँ
साफ़ करने पर भी,
छिप गए हैं धूल में,
करवट बदल कहीं………
रह...
“कुछ तो करना होगा”
हो रहा है आज जो दूसरों के साथ, कल तेरे साथ भी हो सकता है,
तू जो बना है आज तमाशबीन कल तमाशा तेरे साथ भी हो सकता है।
क्यों पड़ूं मैं इन झमेलों में,इस सोच से तुझे...
वक्त का क्या कोई मोल है?
वक्त बड़ा अनमोल है।
जो वक्त की कीमत जानता है,
उसे जमाना मानता है।
हम ही बहते जाते हैं इस वक्त की धार में,
वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में
कम है वक्त बड़ा इस जीवन...
कविता - नन्ही परी
हर रोज की तरह आज भी हुई सुबह
आज था कुछ अलग होना इसका था ना मुझे पता
घर से स्कूल, स्कूल से घर, यही थी मेरी राह
यहीं कुछ ऐसा हुआ जिससे बदल गया जीवन सारा।।
क्या थी गलती...
1. इक लौ अभी तक ज़िंदा है
अभी कोई नहीं है ख़ुशी यहाँ,
बंजर खेत है,उजाड़ बस्ती है।
इक लौ अभी ज़िंदा है
जो इक निग़ाह को तरसती है।
इक ख़ौफ़ सा अंदर बाकी है
इक आंख रात दिन जगती है,
खौफ़जदा है वो हर इक...