Thursday, April 25, 2024
कविता - हिंदी हिंदी भाषा की शान है, हिंदी को देते हम सम्मान हैं। हिंदी हमें सब कुछ सिखाती है। व्याकरण का ज्ञान करवाती है। हिंदी भारतीयों की भाषा है इसमें हमें न कोई निराशा है। हिंदी सबको बोलनी आती है, सबके दिलों को भांति है । देश की माथे की बिंदी है, राजभाषा हिंदी है। खुशबू नौवीं...
बाल कविता - कुमारी संजना की कविता गुरु हमें शिक्षा सिखाते, जिदंगी मे आगे बढ़ने  की राह दिखाते। गुरु हमें संस्कार सिखाते, अच्छे कर्मों को करने की राह दिखाते। गुरु हमे सच बोलना सिखाते, झूठ न बोलने की राह दिखाते। गुरु हमें देश मे ऊँचा...
हिंदी हिंद की शान है, बिंदी जिसकी पहचान है। हिंदी जननी है मातृभाषा अभिमान है, जिस पर हमे आता। फूल पत्तों जैसी ये खिलती। हर भाषा में जा, ये गुल मिलती। स्वर व्यंजन जिसकी पहचान है। संयुक्त वर्ण जिसकी शान हैं। अर्ध अक्षर भी जिसका देता भाषा में, एक नई जान है। हिंदी हिंद की...
1. नया काम नया नाम खुद को खुदी से ही अलग कर रहा हूं जीने के लिए एक नया काम कर रहा हूं। मौकापरस्त ही मिले लोग इस शहर में तभी रास्ता श्मशान का साफ कर रहा हूं। बिना बीज के ही उग आते...
1. बाल कविता आओ हम स्कूल चले नव भारत का निर्माण करें। छूट गया है जो बंधन भव का आओ मिलकर उसको पार करें, आओ हम स्कूल चले ..... जाकर स्कूल हम गुरुओं का मान करें बड़े बूढ़ों का कभी न हम अपमान करें, आओ हम स्कूल चले....... जाकर स्कूल हम दिल लगाकर...

यूँ ही

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ईश्वर हमारी कृति है,  मंदिर में प्रवेश तुम्हारी गुस्ताखी है । आस्था, आशीर्वाद, पूजा हमारे हिस्से,  तुम्हारे लिए ईश्वर का डर ही काफी है । रोटी - बेटी की बात तो सोचो ही मत तुम,  हमारे रास्ते, घर, कुएँ को छुने की सोचना ही...
कविता – बात कहीं और ले गया बदली थी सरकार हमने क्या जोश था आख़िर बदलाव आया था, मन में एक भाव आया था की अब देश बदलेगा ! नहीं मरेगा किसान, नहीं होगा सीमा पर  बलिदान ! कला धन आएगा और गरीब भी खुशहाल हो जायेगा, भ्रष्टाचार खत्म...
कविता – अपनी अपनी शाम १.                          बेनाम सी जिन्दगी जीने लगे है, हर शाम अब पीने लगे है। नाकामी का ठीकरा, रोज भरता है, रोज टूटता है। फिर दिल में दर्द फूटता है, दर्द...
वक्त बदले ज़िन्दगी  वक्त बदला एहसास बदले कल बदला और आज बदले । कुछ लम्हे बदले कुछ स्वयं से हैं सवाल बदले। वक्त है ,फिर बदलेगा इसके बदलते ही , हर बवाल बदले । तुम नहीं बदले आज भी वक्त ने हैं हालात बदले। जी ले जिन्दगी को जी भर...
1. शहर की झूठी शान में आके, घरो से निकले गांव के बाँके एक होड़ है किसी मोड़ पर पहुंचने की, अब न जाने, वो मंजिल है या मिराज है। दुनिया वाले तो यही कहते है कि, जीने का यही सही...
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