जब भी तन्हा होता हूं मैं आजकल,अक्सर याद आ जाता है बीता हुआ कल।
वो हसीन यादें वो यादगार लम्हे,
वो साथ में गुजरा हर एक पल।
हवा का हर एक झोंका जैसे कह रहा हो,
फिर से जीते हैं वो लम्हे, आ लौट चलें चल।
काश ऐसा हो पाता, कुछ लम्हों के लिए दिल भी जाता है मचल।
वही लम्हे, वही दिन, वही हसीन शामें हो,काश फिर से लौट जाते वो लम्हे,वो एक एक पल।
लेकिन ये दिल जानता है यह मुमकिन नहीं,
यादें बेशक अनमोल हैं पर पर यादों में जीना कोई जीना तो नहीं। यादें यादें यादें, यादें खुद में एक उलझन है।
यादें कहां से आती हैं,
खुशियों भरी यादें भी क्यों दिल को तड़पाती हैं?
फिर सब भूल खुद को ये समझाता हूँ,
छोड़ पुरानी यादों को तू जी ले इस पल को ,
मत डूब पुरानी यादों में,बना हसीन हर पल को।
कल फिर से जब तू तन्हा होगा,
तो आज का ये पल भी हसीन यादों का एक लम्हा होगा।
-राजेन्द्र कुमार