कविता- गुलाम आज़ादी
मुबारक हो,
मुबारक हो
आज़ाद हिंद के
गुलाम नागरिकों को
आज़ादी मुबारक हो।
गुलाम हो,
गुलाम हो
आज भी तुम
अपने कामुक विचारों के
गुलाम हो।
शिकार हो,
शिकार हो
आज भी तुम
गली चौराहों में
घूमती फिरती
अपनी गंदी नज़र
का शिकार हो।
बेहाल हो,
बेहाल हो
आज भी तुम
जाति बंधन के
कटु नियमों से
बेहाल हो।
गुलाम...
जब भी तन्हा होता हूं मैं आजकल,अक्सर याद आ जाता है बीता हुआ कल।
वो हसीन यादें वो यादगार लम्हे,
वो साथ में गुजरा हर एक पल।
हवा का हर एक झोंका जैसे कह रहा हो,
फिर से जीते हैं वो लम्हे, आ...
1. नया काम नया नाम
खुद को खुदी से ही अलग कर रहा हूं
जीने के लिए एक नया काम कर रहा हूं।
मौकापरस्त ही मिले लोग इस शहर में
तभी रास्ता श्मशान का साफ कर रहा हूं।
बिना बीज के ही उग आते...
1. शहर की झूठी शान में आके, घरो से निकले गांव के बाँके
एक होड़ है किसी मोड़ पर पहुंचने की, अब न जाने, वो मंजिल है या मिराज है।
दुनिया वाले तो यही कहते है कि, जीने का यही सही...
पुस्तक समीक्षा - वह साँप सीढ़ी नहीं खेलता!
गणेश गनी का कविता संग्रह "वह साँप सीढ़ी नहीं खेलता" लोकोदय प्रकाशन से जनवरी 2019 में प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में 59 कवितायेँ हैं और लगभग सभी छोटे आकार की ही...
वक्त का क्या कोई मोल है?
वक्त बड़ा अनमोल है।
जो वक्त की कीमत जानता है,
उसे जमाना मानता है।
हम ही बहते जाते हैं इस वक्त की धार में,
वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में
कम है वक्त बड़ा इस जीवन...
सर्द हवाओं के झोकों ने एक दम से करमू को झकझोर सा दिया। जाड़ों की धुप आदमी को कितना आलसी बना देती है, यही सोचते हुए करमू फिर से बचपन की यादों में खोने लगा।
दो भाइयों में छोटा था करमू,...
वक्त बदले ज़िन्दगी
वक्त बदला
एहसास बदले
कल बदला
और आज बदले ।
कुछ लम्हे बदले
कुछ स्वयं से हैं सवाल बदले।
वक्त है ,फिर बदलेगा
इसके बदलते ही ,
हर बवाल बदले ।
तुम नहीं बदले आज भी
वक्त ने हैं हालात बदले।
जी ले जिन्दगी को जी भर...
हिंदी हिंद की शान है,
बिंदी जिसकी पहचान है।
हिंदी जननी है मातृभाषा
अभिमान है,
जिस पर हमे आता।
फूल पत्तों जैसी
ये खिलती।
हर भाषा में जा,
ये गुल मिलती।
स्वर व्यंजन
जिसकी पहचान है।
संयुक्त वर्ण
जिसकी शान हैं।
अर्ध अक्षर भी जिसका
देता भाषा में,
एक नई जान है।
हिंदी हिंद की...
1. खूबसूरत लम्हो में
लिखना चाहती थी ,
हर रोज़ इक कविता ....
मैं हर रोज़;
इक कविता तेरे लिए
इक कविता, तेरे लिए
ऐसा वो कल आता,...
मगर, दफन सी
हो गई
उम्मीद ।
अरमान, कुछ तेरे
कुछ मेरे
बीते कल की बातों में
छोड़ आए
जिनको उन खूबसूरत
लम्हों में
जहाँ मिले थे
हम...