Thursday, March 28, 2024
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कविता-आस्तिक या नास्तिक? उसने पूछा कि तुम आस्तिक हो या नास्तिक? मैं कुछ ठिठका,क्योंकि इस बारे में सोचा न था अभी तक। सोच के मैं बोला, इस बारे में मेरा जवाब नहीं है निश्चित । क्या है मेरी मनोदशा वास्तविक? मैं आखिर आस्तिक हुं...
??????? बस एक नजर देखने भर से तुम जैसे ह्रदय मे उतर आती हो, हज़ारों परियां सुन्दरता का शगुन लेकर जैसे आँखों मे ठहर जाती हो, तुम्हारी हलचल को ही तो सहेजता रहता हूँ हरपल तुमसे निकली , तुम ही तो, मेरी कविता हो......! मुझे देखकर तुम कुछ कहती भी नहीं लेकिन...
कविता- गुलाम आज़ादी मुबारक हो, मुबारक हो आज़ाद हिंद के गुलाम नागरिकों को आज़ादी मुबारक हो। गुलाम हो, गुलाम हो आज भी तुम अपने कामुक विचारों के गुलाम हो। शिकार हो, शिकार हो आज भी तुम गली चौराहों में घूमती फिरती अपनी गंदी नज़र का शिकार हो। बेहाल हो, बेहाल हो आज भी तुम जाति बंधन के कटु नियमों से बेहाल हो। गुलाम...
कविता - बहते हुए तूफ़ान बहते हुए तूफान में मैं भी बहता रहा, कभी तूफान बन कर कभी दरिया की नाव बनकर। लोग सोचते रहे, मैं डूब गया। किसी गुमनाम तैराक की तरह। पर स्थिर रहा मैं, किसी अडिंग चट्टान की तरह। टकराता रहा मैं भी, तूफानी दरिया के पानी की...
कविता - दो चेहरे क्या तुमने कभी देखे हैं दो चेहरे वाले लोग ? गर नहीं देखे तो अपने अंदर झांक ले । पूछ ले अपने अंतर्मन से, अंतर्रात्मा को  ताक ले । क्या तेरे दो चेहरे नहीं ? एक चेहरा जो दिखता है...
वक्त बदले ज़िन्दगी  वक्त बदला एहसास बदले कल बदला और आज बदले । कुछ लम्हे बदले कुछ स्वयं से हैं सवाल बदले। वक्त है ,फिर बदलेगा इसके बदलते ही , हर बवाल बदले । तुम नहीं बदले आज भी वक्त ने हैं हालात बदले। जी ले जिन्दगी को जी भर...
शीत युद्ध - अंतर्मन का किसी ओर से लड़ने से अच्छा कि लड़ लूं कुछ देर खुद से बता दूं, इन काग़ज़ों के मार्फत तुम्हें भी कि, अंतर्मन की लड़ाई ही है सबसे बड़ा शीत युद्ध। ऐसा युद्ध जिसमें होते हैं दो बराबर पक्ष, होती हैं, अतीत की गलतियां होते हैं, भविष्य के सपने और...
बाल कविता - कुमारी संजना की कविता गुरु हमें शिक्षा सिखाते, जिदंगी मे आगे बढ़ने  की राह दिखाते। गुरु हमें संस्कार सिखाते, अच्छे कर्मों को करने की राह दिखाते। गुरु हमे सच बोलना सिखाते, झूठ न बोलने की राह दिखाते। गुरु हमें देश मे ऊँचा...

यूँ ही

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ईश्वर हमारी कृति है,  मंदिर में प्रवेश तुम्हारी गुस्ताखी है । आस्था, आशीर्वाद, पूजा हमारे हिस्से,  तुम्हारे लिए ईश्वर का डर ही काफी है । रोटी - बेटी की बात तो सोचो ही मत तुम,  हमारे रास्ते, घर, कुएँ को छुने की सोचना ही...
कविता - नन्ही परी हर रोज की तरह आज भी हुई सुबह आज था कुछ अलग होना इसका था ना मुझे पता घर से स्कूल, स्कूल से घर, यही थी मेरी राह यहीं कुछ ऐसा हुआ जिससे बदल गया जीवन सारा।। क्या थी गलती...
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