हिमाचल हलचल
महल के द्वार में ।
हो तपती गर्मी या हो सर्दी,
उगाई फ़सलें तूने सदियों, हर मौसम की मार में।
तू कौन है?
जो आ खड़ा है, महल के द्वार में ।
चुप ही था तु तो सदा,
सर...
आपके क्या कारण हैं?
भोग विलासी, अत्याचारी,
चाहे राजा हो दुर्व्यव्हारी।
यशोगीत वो गाते थे,
दिन को कह दे रात अगर वो ,
तो रात ही बताते थे।
ये तो उनका काम था,
इसी से चुल्हा जलता था।
क्यों ना...
ख़ामोश (कविता)
ख़ामोश
क्यों खामोश हैं सब इतने,
क्यों कोई कुछ बोलता नहीं ।
क्यों सह रहे हैं सब कुछ,
क्यों खूँ खौलता नहीं ।
जल रहें है घर गैरों के,
क्यों ना कुछ रो लें हम।
या...
कोरोना के साथ और कोरोना बाद
कोरोना जिस तरह से वैश्विक हुआ है शायद ही इससे पहले कुछ इस तरह वैश्विक हुआ होगा, यहाँ तक कि दो दो विश्व युद्ध हुए और रूस अमेरिका का...
हिमाचल दर्शन
चर्चा में
सही गलत (कविता)
सही गलत
किसी बात से व्यथित मन,
व्यथित मन ने लिया ठान,
क्या सही है क्या है गलत?
अब तो वह यह लेगा जान।
विचारों के विमान संग,
उड़ता फिर...
महल के द्वार में ।
हो तपती गर्मी या हो सर्दी,
उगाई फ़सलें तूने सदियों, हर मौसम की मार में।
तू कौन है?
जो आ खड़ा है, महल के द्वार में ।
चुप...
आपके क्या कारण हैं?
भोग विलासी, अत्याचारी,
चाहे राजा हो दुर्व्यव्हारी।
यशोगीत वो गाते थे,
दिन को कह दे रात अगर वो ,
तो रात ही बताते थे।
ये तो उनका काम था,
इसी...
ख़ामोश (कविता)
ख़ामोश
क्यों खामोश हैं सब इतने,
क्यों कोई कुछ बोलता नहीं ।
क्यों सह रहे हैं सब कुछ,
क्यों खूँ खौलता नहीं ।
जल रहें है घर गैरों के,
क्यों...
कोरोना के साथ और कोरोना बाद
कोरोना जिस तरह से वैश्विक हुआ है शायद ही इससे पहले कुछ इस तरह वैश्विक हुआ होगा, यहाँ तक कि दो दो विश्व युद्ध...
यूँ ही
ईश्वर हमारी कृति है,
मंदिर में प्रवेश तुम्हारी गुस्ताखी है ।
आस्था, आशीर्वाद, पूजा हमारे हिस्से,
तुम्हारे लिए ईश्वर का डर ही काफी है ।
रोटी - बेटी...
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सही गलत
किसी बात से व्यथित मन,
व्यथित मन ने लिया ठान,
क्या सही है क्या है गलत?
अब तो वह यह लेगा जान।
विचारों के विमान संग,
उड़ता फिर रहा था मन।
फिर दृश्य एक...
महल के द्वार में ।
हो तपती गर्मी या हो सर्दी,
उगाई फ़सलें तूने सदियों, हर मौसम की मार में।
तू कौन है?
जो आ खड़ा है, महल के द्वार में ।
चुप ही था तु तो सदा,
सर...
आपके क्या कारण हैं?
भोग विलासी, अत्याचारी,
चाहे राजा हो दुर्व्यव्हारी।
यशोगीत वो गाते थे,
दिन को कह दे रात अगर वो ,
तो रात ही बताते थे।
ये तो उनका काम था,
इसी से चुल्हा जलता था।
क्यों ना...
ख़ामोश (कविता)
ख़ामोश
क्यों खामोश हैं सब इतने,
क्यों कोई कुछ बोलता नहीं ।
क्यों सह रहे हैं सब कुछ,
क्यों खूँ खौलता नहीं ।
जल रहें है घर गैरों के,
क्यों ना कुछ रो लें हम।
या...
कोरोना के साथ और कोरोना बाद
कोरोना जिस तरह से वैश्विक हुआ है शायद ही इससे पहले कुछ इस तरह वैश्विक हुआ होगा, यहाँ तक कि दो दो विश्व युद्ध हुए और रूस अमेरिका का...
यूँ ही
ईश्वर हमारी कृति है,
मंदिर में प्रवेश तुम्हारी गुस्ताखी है ।
आस्था, आशीर्वाद, पूजा हमारे हिस्से,
तुम्हारे लिए ईश्वर का डर ही काफी है ।
रोटी - बेटी की बात तो सोचो ही...