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रेंगने से भागने तक

रेंगने से भागने तक जीते नहीं थे,काटते थे जिंदगी |  घिसटते थे,खिसकते थे,रेंगते थे | ऐसा न था कि सभी रेंगते ही थे | देखने में थे हू ब हू ही, पर कुछ खड़े...

नफ़रत के बीज (कविता)

  नफ़रत के बीज   शहरों से दूर, आधुनिकता से परे, भौतिकता के पार, दूर सुदूर क्षेत्र में प्रकृति की गोद में बसा एक गाँव। गांव के लोगों का अपना ही था...

हिमरी गंगा II डायना पार्क IIस्वर्णिम वाटिका बासाधार

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  हिमरी गंगा / डायना पार्क /स्वर्णिम वाटिका बासाधार भारत एक लोकतांत्रिक देश है,इसलिए यहां समय-समय पर लोकतंत्र का सबसे बड़ा महापर्व यानी चुनाव होते रहते हैं। चुनाव को सफल बनाने...

मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ।

मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ। मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ। क्या कहा तुमने? “कैसे ?” पहली बात तो ये, तुमने मुझसे प्रश्न किया कैसे? प्रश्न करे तु मुझसे, तेरी ये औकात नहीं। लेकिन मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ। हैरानी की तो बात...

सही गलत (कविता)

सही गलत किसी बात से व्यथित मन,   व्यथित मन ने लिया ठान, क्या सही है क्या है गलत? अब तो वह यह लेगा जान। विचारों के विमान संग,  उड़ता फिर रहा था मन।  फिर दृश्य एक...

महल के द्वार में ।

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हो तपती गर्मी या हो सर्दी, उगाई फ़सलें तूने सदियों, हर मौसम की मार में।  तू कौन है?  जो आ खड़ा है, महल के द्वार में ।   चुप ही था तु तो सदा, सर...