कोरोना के साथ और कोरोना बाद

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कोरोना जिस तरह से वैश्विक हुआ है शायद ही इससे पहले कुछ इस तरह वैश्विक हुआ होगा, यहाँ तक कि दो दो विश्व युद्ध हुए और रूस अमेरिका का तनाव रहा पर जितना कोरोना का प्रभाव है उतना किसी का नहीं रहा। लगभग पूरी दुनिया में अपनी पैठ जमा चूका कोरोना, 2020 में इंटरनेट के साथ साथ दुनिया भर के लोगों की जुबाँ और जहन में घर कर चूका है। अभी आगे कोरोना वैश्विक महामारियों के सारे रिकार्ड्स ध्वस्त करेगा।

कोरोना क्या है, कैसे अपने आप को और समाज को कोरोना से बचाएं, ये सारी जानकारियां सरकारी, गैर सरकारी और इंटरनेट के माध्यम से सभी लोगों बताई ही नहीं रटाई भी जा चुकी है, सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं अभी भी हर सम्भव प्रयास कर रही हैं कि नईं नईं जानकारियां लोगों तक पहुँचती रहे।
पर फिर भी कुछ लोग जो वक़्त की नज़ाकत समझ नहीं रहे या समझना नहीं चाहते, ये लोग शारीरिक दूरी का पालन नहीं करते, वे-वजह की यात्रा, पार्टियां-समारोह कर रहे हैं या इस तरह की अन्य गैर जिम्मेदाराना हरकतें कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोरोना काल का उलघंन कम पढ़ा लिखा आम नागरिक ही नहीं, कुछ तथाकथिक बुद्धिजीवी से लेकर विधायक, सांसद और अन्य पूरे देशभर में करते पाए गए हैं। स्वयं समझ जाएं तो बेहतर नहीं तो कोरोना को समझने आना पड़ा तो क्या फायदा!

अगर मैं कम शब्दों में कहूं तो संक्रमित व्यक्ति यदि चेन नहीं बनने देगा तो कोरोना खुद व खुद हारने लग जायेगा, वही संक्रमित व्यक्ति जब स्वस्थ होकर लौट आएगा तब उस से कोरोना फ़ैलने का ख़तरा न के बराबर है, वो दोवारा अपनी जिंदगी सामान्य तरीके से जियेगा, कोरोना को कोई अभिशाप या धब्बा ना समझें, कि जिसको कोरोना हो गया वो अछूत हो गया और उस से नफ़रत करना शुरू कर दें। – “जैसा भी भारत में सदियों से कुछ लोगों को अछूत घोषित कर के नफ़रतों का शिकार बनाया जाता है, काश कोरोना काल के बाद इस तरह की अमानवीय कुरीतियों को भी लोग छोड़ देंगे।”

और जो संक्रमित नहीं है उनको अपने आप को संक्रमित होने से बचने की तरह से पूरी कोशिश करनी है, पूरी सावधानियाँ बरतनी है, अगर पूरी एहतियात बरतने के बावजूद भी अगर कोई संक्रमित हो भी जाता है तो घबराना नहीं हैं। कोरोना से लड़ने के हमारे शरीर में एंटी बॉडीज बन जातें है, पर यह व्यक्ति की प्रतिरोधी क्षमता, संक्रमण के दौरान उसके आत्म मनोबल पर निर्भर करता है साथ ही साथ व्यक्ति को कोई अन्य गंभीर बीमारी ना हो। पूरे विश्व के अभी तक के आंकड़ों को देखा जाये तो युवा और स्वस्थ व्यक्ति कोरोना को बिना वैक्सीन से हारने में कामयाब हो रहे हैं। पर आंकड़ों को देख कर कोरोना को हल्के में नहीं लिया जा सकता जब जब लापरवाही बरती गई कोरोना हावी हो गया। कहा जा सकता है कि जब तक वैज्ञानिक कोई ठोस कोरोना वैक्सीन नहीं ख़ोज लेते तब तक हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव करना पड़ेगा तभी हम कोरोना को जीतने से रोक सकते हैं।

कोरोना कैसे फैला, क्या इसे समय रहते रोका जा सकता था?

दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे छोटे देशों ने समय रहते कोरोना के ख़तरे को भाँप लिया, जिससे दोनों देशों में बाकि दुनिया की तरह कोरोना नहीं फैला। जैसा की सब ज्ञात है कि कोरोना चीन से पूरी दुनिया में फ़ैल गया, मैं इस बात पर नहीं जाऊँगा की चीन ने इस वायरस को लैब में बनाया है या यह वहाँ जानवरों द्वारा मनुष्यों में फैला है।

भारत की बात की जाये तो पहला कोरोना का मामला जनवरी 2020 में केरल में आया। अगर सच सच बोल जाये तो सरकार ने मार्च के पहले पखवाड़े तक कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया। मार्च तक लोग विदेशों से बिना रोक टोक आते रहे, मैं यह नहीं कहता की देश के नागरिकों को भारत नहीं आने देना चाहिए था, पर जैसी सावधानियां पहली तालाबंदी के समय की गई थी जैसे की हवाई अड्डों पर ही 15 का संस्थागत क्वारंटाइन, कोरोना जाँच इत्यादि तो शायद स्थितियां कुछ और होती। हमें नहीं भूलना चाहिए की फरवरी माह में अहमदाबाद में प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति का “हौदी ट्रम्प ” कार्यक्रम हुआ था !

अगर सरकार वक़्त रहते जाग गई होती तो, जो देश के मौजूदा हालत हैं विशेषकर प्रवासी मज़दूरों के, जिनके हाल देख कर देश का हर संवेदनशील व्यक्ति व्यथित है। कुछ लोग लगातार इन लाचार मज़दूरों की निःस्वार्थ सेवा में लगे हुए हैं जिनका जितना धन्यवाद किया जाये वो कम है। बेचारे मज़दूर और आम नागरिक पूरे देश में व्यवस्था के मारे हुए हैं, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता सरकार हाथ पर हाथ रख के बैठी है, पर जो भी हो रहा है वो नाकाफ़ी है। मज़दूर भूख-प्यास और पलायन से ज़्यादा मर रहे हैं और कोरोना से कम। कोई भी आपदा आये चाहे बाढ़ हो, भूकंप हो या महामारी हो, सबसे ज़्यादा नीचे का गरीब तबका ही पिसता है और उसी तबके को सबसे ज़्यादा नुकसान होता है, इन लोगों के लिए सरकार को ठोस नीति बनानी चाहिए जिस से इन लोगों का जीवन स्तर थोड़ा बेहतर हो सके।

अब बात करते हैं स्वस्थ्य सेवाओं की –

हम लोगों को कोसने के अलावा कुछ नहीं आता हैं, अगर सरकारी तंत्र में कहीं कमी होगी तो हम सरकार को कोसेंगे पर उन कमियों को दुरुस्त करने के लिए सरकार को नहीं बोलेंगे क्योंकि हम लोगों ने जिन मुद्दों पर सरकार चुनी है वो बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा इत्यादि नहीं हैं! भारत जैसे विशाल जनसँख्या वाले देश में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी हैं, अगर कोरोना ऐसे ही बढ़ता रहा तो हमारी स्वास्थ्य सेवायें, अस्पताल सब कम पड़ जायेंगे। डॉक्टर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के पास जरुरी ppe कीटस की कमी है, जो बेचारे अपनी जान जोख़िम में डाल कर दिन रात देश की सेवा में लगे हुए हैं, कुछ प्रदेशों में तो स्वास्थ्य सेवाओं की हालत जिंताजनक है, अभी कुछ दिन पहले आंध्र प्रदेश में किसी सरकारी डॉक्टर ने जरुरी सामान की कमी का आरोप लगाया था जिन्हें बाद में बर्खास्त और उसके बाद मानसिक रोगी बता कर मनोरोग अस्पताल भेज दिया गया। इस बात से आप समझ सकते हैं जमीनी हालत कैसे हैं, भर्ष्टाचार ने स्वास्थ्य सेवाओं को भी नहीं बक्शा है, अभी कुछ दिन पहले हिमाचल में भी एक बड़े स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकारी को कोरोना काल में अनिमियतता और भर्ष्टाचार के केस में गिरफ़्तार किया गया।
फ्रंट लाइन वर्रिएर्स – डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस, सफाई कर्मचारी जो लगातार जनता की सेवा में लगे हुए हैं, इन लोगों के साथ कुछ जगह पर अमर्यादित और अमानवीय हमले हुए जो निंदनीय होने के साथ साथ हमारे समाज में लोगों की मनोस्थिति बतलाती है। हम लोग कितने मक्कार और मतलबी है, इस बात की विवेचना हमें खुद करनी चाहिए।
मैं कुछ घटनाओं का ज़िक्र करना चाहता हूँ पहली दिल्ली में दो डॉक्टर्स बहनों को उन्हीं के पड़ोसियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता, दूसरी इंदौर में स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करना, तीसरी पुलिस पर उत्तरप्रदेश में पथराव और चौथी जमात से जुड़े कुछ कोरोना संक्रमितों द्वारा नर्सों के साथ अश्लील हरकतें करना। इस तरह की अनेको अन्य घटनाएं भी हुई जो ज्यादा चर्चा में नहीं रही। हम लोगों को ऐसा करना नहीं चाहिए जो कुछ लोगों ने किया जिससे मानवता ही शर्मसार हो, हमें तो अपने डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों पर गर्व होना चाहिए जो विपरीत परिस्थितियों में भी लगातार कोरोना से जंग लड़ रहे हैं।

हिमाचल और कोरोना

पहले और दूसरे तालाबंदी दौर में हिमाचल कोरोना से लगभग बचा रहा क्योंकि हिमाचल ने सभी सीमाएं सील रखी और जिला स्तर पर भी आवाजाही पर लगभग रोक लगा दी। मैं कुछ घटनाओं का ज़िक्र करना चाहता हूँ जैसे, कुछ नेताओं का दिल्ली से हिमाचल लौटना हुआ और बाकि राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश ने कोटा के बच्चों को लाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसी तरह बाकि प्रदेशों में भी कोटा से अपने गृह राज्यों को कोचिंग ले रहे छात्रों को लाया जाने लगा। हिमाचल सरकार ने भी हिमाचली छात्रों को लाने के लिए बसें भेजी। फिर देश के अन्य क्षेत्रों से छात्रों को लाया गया, उसके बाद हिमाचल निवासियों को लाने की प्रकिया शुरू हुई, जो अभी तक चली हुई है। कुछ लोगों का आरोप है कि हिमाचल में बाहर से आने वालों की वजह से कोरोना के मामले बढे, जो सही भी है उस में कोई दो राय नहीं। पर क्या हिमाचलियों को हिमाचल आने से रोकना सही बात है, वो भी सही नहीं है, जो वापिस घर आना चाहता है उसको घर आने देना चाहिए या लाया जाना चाहिए।
फिर चूक कहाँ हुई? – बहुत सी जगह चूक हुई, या यूं कह सकते है कि हिमाचल सही तरीके से व्यवस्था नहीं कर पाया। अगर सरकार वापिस आने वाले हर छात्र और नागरिक को सीमा पर ही तक़रीबन 15 दिन के लिए संस्थागत क्वारंटाइन करता वो भी बिना किसी भाई भतीजावाद के जिसमें सभी को मुलभुत सुविधाएँ मुहैया करवाई जाती। कहीं कहीं से ख़बरें भी आई की लोगों के साथ कर्मचारियों द्वारा अच्छे से व्यवहार नहीं किया गया, खाने और पानी की सुविधाएँ पर्याप्त नहीं थी ऐसी भी अनेक घटनाएं घटीं।
बाहर से आये सभी लोगों का टेस्ट किया जाता संक्रमित लोगों को अलग और सामान्य लोगों को अलग क़ुरएन्टीन किया जाता इत्यादि, तब कहा जा सकता था कि सरकार ने सूझबूझ से काम लिए और अपने लोगों का पूरा ख्याल रखा। अभी भी कुछ ज्यादा नहीं बिगड़ा है अगर सरकार अभी भी बॉर्डर क्वारंटाइन करना शुरू कर दे तो हिमाचल में कोरोना को सिमित किया जा सकता है।
कुछ ऐसी घटनाएं भी प्रदेश में हुई जिनकी पुनरावृति नहीं होनी चाहिए जैसे स्वारघाट में क्वारंटाइन में रखे युवक की कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से मौत होना और युवक के शव के साथ शिमला में अनादर होना, ऐसा ही अनादर सरकाघाट के युवक के शव के साथ भी हुआ था और उस युवक के अंतिम संस्कार को लेकर भी काफ़ी चर्चा रही। कोरोना त्रास्दी में हमें मानवता को भी बचाना है, ये हमारी ज़िम्मेवारी होनी चाहिए।

उम्मीद है मेरा विश्लेषण लोगों को अच्छा लगेगा और सुझाव सरकार तक पहुँच जाएंगे। इतना लंबा आलेख पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

बलवंत नीब
मण्डी हिमाचल प्रदेश

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