बाल कविता - कुमारी संजना की कविता
गुरु हमें शिक्षा सिखाते,
जिदंगी मे आगे बढ़ने की राह दिखाते।
गुरु हमें संस्कार सिखाते,
अच्छे कर्मों को करने की राह दिखाते।
गुरु हमे सच बोलना सिखाते,
झूठ न बोलने की राह दिखाते।
गुरु हमें देश मे ऊँचा...
जहां हम रहते हैं
जहां हम रहते हैं
वहां हमारे पड़ोस में बहती है नदी
बच्चों की तरह चंचल
हड़बड़ी में मैदानों की ओर
भागती हुई
पड़ोस में जंगल है
देवदार के पेड़ों से भरा हुआ
हमारे लिये किसी सगे सा
इस जंगल को कटने से बचाने के...
सर्द हवाओं के झोकों ने एक दम से करमू को झकझोर सा दिया। जाड़ों की धुप आदमी को कितना आलसी बना देती है, यही सोचते हुए करमू फिर से बचपन की यादों में खोने लगा।
दो भाइयों में छोटा था करमू,...
शीत युद्ध - अंतर्मन का
किसी ओर से लड़ने से अच्छा
कि लड़ लूं
कुछ देर खुद से
बता दूं,
इन काग़ज़ों के मार्फत
तुम्हें भी
कि, अंतर्मन की लड़ाई ही है
सबसे बड़ा शीत युद्ध।
ऐसा युद्ध
जिसमें होते हैं
दो बराबर पक्ष,
होती हैं,
अतीत की गलतियां
होते हैं,
भविष्य के सपने
और...
कविता - क्या तब?
तप्त अग्नि में जलकर
राख हो जाऊंगा।
एक दिन मिट्टी में मिलकर
खाक हो जाऊंगा।
तब मिट्टी को रौंदकर
क्या मुझे याद करोगे?
झूठे ख्वाबों की शायरी से
क्या मेरा इंतजार करोगे?
करना है इश्क़ तो
अब कर सनम।
लगा सीने से तस्वीर को
क्या तब याद...
1. शहर की झूठी शान में आके, घरो से निकले गांव के बाँके
एक होड़ है किसी मोड़ पर पहुंचने की, अब न जाने, वो मंजिल है या मिराज है।
दुनिया वाले तो यही कहते है कि, जीने का यही सही...
कविता – नए प्रतिबिम्ब
खो गए हैं
वक्त के आईने से,
जो सपने
संजोए थे मैंने,
समेटने की,
कि थी कोशिश बहुत,
पर बिखर गए
सैलाब बन कर।
धूमिल होते आईने पर
उभर रहे हैं,
प्रतिबिम्ब नए नए !
मिलते नहीं निशाँ
साफ़ करने पर भी,
छिप गए हैं धूल में,
करवट बदल कहीं………
रह...
आलेख - दूषित राजनीति दूषित लोग
आज हम भारत की राजनीति की बात करें तो वह पूरी तरह दूषित हो चुकी है।इसके लिए हम किस को जिम्मेवार ठहरा है।कुछ समझ नहीं आता मगर वास्तव में हम विचार करें तो दूषित...
कविता - बहते हुए तूफ़ान
बहते हुए तूफान में
मैं भी बहता रहा,
कभी तूफान बन कर
कभी दरिया की नाव बनकर।
लोग सोचते रहे,
मैं डूब गया।
किसी गुमनाम तैराक की तरह।
पर स्थिर रहा मैं,
किसी अडिंग चट्टान की तरह।
टकराता रहा मैं भी,
तूफानी दरिया के
पानी की...
1. दर्द
दर्द को समझने के लिए
पहले मैंने बाजू में चीरा लगाया,
फिर भी मुझे,
वह दर्द महसूस नहीं हुआ।
फिर मैंने ज़ख्म में
नमक मिला लिया,
पर फिर भी मुझे,
उतना दर्द नहीं हुआ।
मैं समझ नहीं पा रहा था
आखिर क्यों...
वह दर्द खुद को यातना देने...