राजीव डोगरा की दो कवितायेँ

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1. बाल कविता

आओ हम स्कूल चले
नव भारत का निर्माण करें।

छूट गया है जो
बंधन भव का
आओ मिलकर उसको
पार करें,
आओ हम स्कूल चले …..

जाकर स्कूल हम
गुरुओं का मान करें
बड़े बूढ़ों का कभी न
हम अपमान करें,
आओ हम स्कूल चले…….

जाकर स्कूल हम
दिल लगाकर पढ़ेंगे
मौज मस्ती और खेलकूद भी
खूब करेंगे,
आओ हम स्कूल चले…….

क ख ग का गान कर
हम हिंदी का मान बढ़ाएंगे।
एक दो तीन चार पढ़ कर
गणित का ज्ञान भी करेंगे।
आओ हम स्कूल चले…….

2.

बरसती बरसातों में
बह जाऊंगा मैं भी,
तेरी याद आती
यादों के संग।
टूटकर बिखर जाऊंगा,
किसी गुमनाम पत्थर की तरह,
और बह जाऊँगा
किसी चीखती नदी में
ले तेरी यादों को संग।
लोग ढूंढेंगे मुझे
इन बरसती बरसातों में,
हवा में उड़ते
किसी अजनबी अश्क़ की तरह।
पानी में बहते,
किसी गुमनाम पत्ते की तरह।
मगर मैं खो जाऊंगा,
तेरी यादों को ले संग
किसी गुमनाम तूफान की तरह।

राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल,ठाकुरद्वारा।
पिन कोड 176029
Rajivdogra1@gmail.com
9876777233

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