सांगला घाटी – प्राकृतिक सौंदर्य से सरावोर

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सांगला घाटी – प्राकृतिक सौंदर्य से सरावोर

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला की सांगला घाटी अत्यंत ही रमणीक स्थान है जो बर्बस ही अपनी ओर आकर्षित करती है। सांगला घाटी हिमालय की सुन्दरतम घाटियों में से एक है। बस्पा नदी सांगला घाटी के बीचों बीच से गुजरते हुए करछम में सतलुज नदी में मिल जाती है, करछम से ही सांगला घाटी शुरू हो जाती है जो छितकुल में जा कर खत्म होती है, छितकुल भारतीय सीमा का अंतिम गांव भी है।

सांगला बर्फ से ढके ऊँचे ऊँचे पर्वतों के बीच में बसी सौंदर्य से परिपूर्ण घाटी है, सांगला में सेब, खुमानी, अखरोट और अन्य फलों के बगीचे हैं, यहाँ का सेब हिमाचल के बाकी क्षेत्रों से भिन्न और बेहतर होता है। ज़्यादतर गांव नदी के साथ साथ ही हैं, देवदार के जंगलों से घिरी ये वादियां बर्बस ही अपनी ओर खींचती हैं। गलेशियर के ठन्डे पानी वाली बस्पा नदी में ट्राउट मछली पाई जाती है, ट्राउट पकड़ने के लिए कुछ पर्यटक नदी में एंगलिंग भी करते है।

रोमांच से भरपूर इस घाटी में नदी के साथ कैंपिंग भी की जाती है, रकछम के पास कैंपिंग के स्थान चिन्हित हैं। जहाँ टैंटों में खुले आसमान के नीचे रात गुज़ारने का एक अलग ही आनंद है। दुनिया की सबसे ख़तरनाक सड़कों में से एक सड़क के द्वारा सांगला घाटी तक पहुंचना भी कम रोमांचक नहीं है। साहसिक और रोमांच पसंद लोगों की सांगला घाटी यात्रा पहली पसंद बनती जा रही है।

सांगला घाटी के कुछ महत्वपूर्ण स्थान और ट्रेक 

  1. कमरु किला – सांगला कस्बे से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर 2600 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया यह किला यहाँ का एक मात्र किला है, इस किले में अनेक प्रवेश द्वार हैं और प्रमुख द्वार पर भगवान बुद्ध की बड़ी सी प्रतिमा है। इस किले से सांगला घाटी के सूंदर सूंदर नज़ारे देखने को मिलते हैं।
  2. सांगला बौद्ध मठ – सांगला में स्थित इस बौद्ध मठ को बरेलेंगी गोम्पा भी कहा जाता है। यह सांगला घाटी का प्रसिद्ध गोम्पा है।
  3. बेरिंग नाग मंदिर – घाटी के प्रमुख देवता है मंदिर सांगला कस्बे के बीचों बीच स्थित है, यह घाटी का प्रमुख धार्मिक स्थान है, यहाँ हर साल अगस्त और सितम्बर में फुलैच मेला लगता है।
  4. रकछम गांव – घाटी के तक़रीबन बीच में स्थित यह गांव बहुत ही सूंदर स्थान है, रकछम घाटी के सैर के लिए प्रसिद्ध है,रकछम से बतसरी तक सैर के लिए ट्रेक है। जून महीने से पहले रकछम से गलेशियर तक 4 घंटे तक का ट्रेक भी है।
  5. छितकुल – 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित छितकुल सांगला से 23 किलोमीटर दूर है। यह भारत का भारत तिब्बत सीमा पर आखिरी बसा हुआ गांव है, प्रयटकों को इस गांव से आगे जाने अनुमति नहीं है, छितकुल में पहाड़ी शैली में निर्मित छितकुल माथी का सूंदर मंदिर भी है बस्पा नदी के बाईं छोर पर यह गांव हिमालय की ऊँची ऊँची चोटियों की गोद में बसा है।
  6. रूपिन पास ट्रेक और सांगला मेडॉस ट्रेक सांगला घाटी से शुरू किये जाने वाले प्रमुख ट्रेक हैं।

सांगला घाटी हिमालय की कई विलुप्त प्राय जंगली जानवरों की प्रजातियों का घर भी है। यहाँ अनेक तरह की जड़ी बूटियां और विशेष कर भोज पत्र के पेड़ पाए जाते हैं। घाटियों से नीचे आता बर्फीला पानी, झरने और पहाड़ों पर बर्फ़ की चादरें सभी की अपनी तरफ़ आकर्षित करती हैं।

शिमला से सांगला घाटी का सफ़र इस वीडियो में देखा जा सकता है –

सांगला आने का सही समय – गर्मियों का मौसम सांगला घूमने का सबसे उपयुक्त समय है खास कर के मई से जुलाई तक। अधिक ऊंचाई पर स्थित इस घाटी में आने से पहले गर्म कपडे जरूर साथ लाएं।

ठहरने के लिए – सांगला घाटी में सांगला से ले कर के छितकुल तक अनेक होटल, गेस्ट हाउस, रेस्तरां और ढाबा उपलब्ध हैं, साथ ही कुछ गांव में होम स्टे की सुविधा भी है, खुले में रहने वालों के लिए कैंपिंग भी एक विकल्प है।

सांगला घाटी की गर्मियों में ली गई कुछ तस्वीरें – 

फ़ोटो सौजन्य – TheTraveler.in

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