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लोक संस्कृति | हिमवाणी
Tuesday, May 13, 2025
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लोक संस्कृति

बारसेला (सती स्तंभ) मण्डी, हिमाचल प्रदेश।   भारतवर्ष की संस्कृति बेहद प्राचीन एवं समृद्ध है लेकिन कुछ कुरितियां ऐसी रही हैं जो हमारी संस्कृति की महानता के दावे पर सवालिया निशान लगाती रही हैं।इनमें से कुछ समय के साथ खत्म हो...
त्यौहार चाहे कोई भी हो,हर किसी को इनका इंतजार रहता है। और इंतजार हो भी क्यों ना? आजकल की व्यस्तता भरी जिंदगी में ये त्यौहार ही हैं जो हमें अपने अपनों से मिलने का अवसर प्रदान करते हैं।त्यौहारों में...
एक तरफ बर्फ से ढके पत्थर के ऊंचे ऊंचे पर्वत तथा दूसरी तरफ देवदार के जंगलों से भरे सफेद पर्वत और बीच से नागिन सी बलखाती बास्पा नदी, नजारा कुछ ऐसा था कि मैं पलकें झपकाना  ही भूल गया।...
भारत विविधताओं का देश है। यहां पर अनेकों परम्पराएं, रिती रिवाज तथा प्रथाएं देखने को मिल जाएंगी। एक ऐसी ही प्रथा है बहुपति प्रथा। बहुपति शब्द सुनते ही जो पहला नाम जेहन से टकराता है, वो था द्रौपदी का। शायद...
सिरमौर और शिमला जिला के बिल्कुल मध्य भाग में स्थित शिरगुल महाराज की तपोस्थली "चूड़धार" या "चूड़ चांदनी" बेहद खूबसूरत और रमणीय स्थल है। यह स्थल वर्तमान परिदृश्य में लोगो द्वारा गमन किया जाने वाले प्रमुख स्थानों में से...
हिमाचल प्रदेश देश भर में अपनी अनुपम व् अनूठी  संस्कृति के लिए विख्यात है। प्राचीनकाल से पहाड़ो में प्रश्रय लेती सभ्यता आज एक सांस्कृतिक रूप में हम सभी के बीच रीति- रिवाजों लोक प्रथाओं इत्यादि के वेश में विद्यमान...
प्राकॄतिक खूबसूरती से सरोबार, मनमोहक तथा दिलकश नजारों को आंचल में समेटे हुए हिमालय की ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं से निकलता गंगा सा पवित्र जल, शायद इसलिए ही इसे "गंगारंग" की संज्ञा दी गई है। गंगारंग, प्राकृतिक खुबसूरती के...
सांगला की होली। जब बात हो उत्साह और उमंग की, खुशियों,मस्ती और रंग की, तो जो त्योहार मुस्कान के साथ जेहन में चमकता है वो त्योहार है- होली। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।अगर होली...
बात उन दिनों की है जब मैं किन्नौर में नया नया आया था। मेरा  आवास विद्यालय के पास ही गांव में था, जो सांगला से 3 कि०मी० दूर था। मेरे अन्य सहकर्मी सांगला में ही रहते थे। एक दिन...
“खूबसूरती ऐसी,जो आंखों से सीधे दिल में उतरकर, कर दे दीवाना।  जहां सनसनाती ठण्डी हवाओं के झोंकों संग  उड़ते बादल गाते हैं मधुर तराना।  देवदार के पेड़ पहरेदार हों जैसे इन हसीन वादियों के...... खुद से मुलाकात करने की पहाड़ों से बेहतर कोई...
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