किन्नौर डायरी – गंगा सा पवित्र – गंगारंग

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प्राकॄतिक खूबसूरती से सरोबार, मनमोहक तथा दिलकश नजारों को आंचल में समेटे हुए हिमालय की ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं से निकलता गंगा सा पवित्र जल, शायद इसलिए ही इसे “गंगारंग” की संज्ञा दी गई है। गंगारंग, प्राकृतिक खुबसूरती के साथ ही साथ लोगों के हृदय में आस्था की अदभुत लौ भी जलाए हुए है।

सांगला छितकुल सडक पर सांगला से लगभग 2 कि०मी०  की दूरी  पर स्थित है “गंगारंग”। यहीं साथ में ही स्थित है शिव मंदिर, जहां श्रद्धालु शिव दर्शन के लिए आते रहते हैं। शिवरात्री के अवसर पर यहां भक्तों की लंबी लम्बी कतारें देखने को मिल जाती है। यहां के जल को लोग गंगा सा पवित्र मानते हैं। मान्यता यह है कि यह जल अपने आप में औषधीय गुण लिए हुए है, जो चर्म रोगों, दाद, खाज, खुजली, फोडे फुंसियों तथा पेट सम्बधी विकारों को चमत्कारिक ढंग से ठीक कर देता है।यहाँ आने वाले लोग अक्सर यंहा का जल साथ में ले जाते हैं । गंगारंग में सडक पर बना लोहे का पुल तथा उस पर लगे बौद्ध धर्म के झण्डे पर्यटकों का ध्यान स्वतः ही आकर्षित कर लेते हैं। जिस विशालकाय चट्टान के नीचे शिव मन्दिर बना है उस चट्टान पर एक सफेद रंग की शंखनुमा आकृति बनी है जो दूर से ही दिखाई देती है। मान्यता के अनुसार यह शंख भगवान शिव का है। जिस पर्वत श्रृंखला से ये झरना निकलता है उसे कैलाश के नाम से पुकारते हैं। इसी श्रृंखला की दूसरी दिशा में स्थित है सुप्रसिद्ध “किन्नर कैलाश“, जिसे भगवान शिव का शीतकालीन निवास भी कहा जाता है।

आस्था व प्राकृतिक खुबसूरती के इस बेजोड़ संगम को देखना अपने आप में ही एक अविस्मरणीय अनुभव है, जिसे शायद आप अपने किन्नौर भ्रमण के दौरान बिल्कुल नहीं छोडना चाहेंगे ।

– राजेंद्र कुमार 

गंगरंग की कुछ तस्वीरें –

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