विशेष ख़ामोश (कविता) By super_RK - September 23, 2020 0 849 Facebook Twitter Pinterest WhatsApp ख़ामोश क्यों खामोश हैं सब इतने, क्यों कोई कुछ बोलता नहीं । क्यों सह रहे हैं सब कुछ, क्यों खूँ खौलता नहीं । जल रहें है घर गैरों के, क्यों ना कुछ रो लें हम। या जलने दें घर अपना, तभी कुछ बोलें हम। –super RK