व्यंग्य- गाय माता की जय
यार विवेक मैं सोच रहा हूँ क्यों ना इस बार चुनाव में अपनी गाय को खड़ा कर दूं। मैं खुद तो कभी चुनाव जीत नहीं सकता ! गाय को...
देखिये और सुनिए सुशील कुमार का गाना ‘तेरे बिन’
हिमाचल में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, हिमवाणी की हमेशा कोशिश रहेगी कि उभरती हुई प्रतिभाओं को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाया जाये। आज इसी कड़ी में...
पारस चौहान की दो कवितायेँ
1. शहर की झूठी शान में आके, घरो से निकले गांव के बाँके
एक होड़ है किसी मोड़ पर पहुंचने की, अब न जाने, वो मंजिल है या मिराज है।
दुनिया...
खूबसूरत लम्हो में – अनुराधा
1. खूबसूरत लम्हो में
लिखना चाहती थी ,
हर रोज़ इक कविता ....
मैं हर रोज़;
इक कविता तेरे लिए
इक कविता, तेरे लिए
ऐसा वो कल आता,...
मगर, दफन सी
हो गई
उम्मीद ।
अरमान, कुछ तेरे
कुछ मेरे
बीते...
शाम अजनबी – इक लौ अभी तक ज़िंदा है
1. इक लौ अभी तक ज़िंदा है
अभी कोई नहीं है ख़ुशी यहाँ,
बंजर खेत है,उजाड़ बस्ती है।
इक लौ अभी ज़िंदा है
जो इक निग़ाह को तरसती है।
इक ख़ौफ़ सा अंदर बाकी...
व्यंग्य – चेयरमैन साहब और फेसबुक
चेयरमैन साहब कुछ दिनों से परेशान चल रहे थे, उनकी समझ में नहीं आ रहा था की फेसबुक में उन्होंने 5000 दोस्त बना रखे हैं और क्यों नहीं बन...