1. खूबसूरत लम्हो में
लिखना चाहती थी ,
हर रोज़ इक कविता ….
मैं हर रोज़;
इक कविता तेरे लिए
इक कविता, तेरे लिए
ऐसा वो कल आता,…
मगर, दफन सी
हो गई
उम्मीद ।
अरमान, कुछ तेरे
कुछ मेरे
बीते कल की बातों में
छोड़ आए
जिनको उन खूबसूरत
लम्हों में
जहाँ मिले थे
हम दोनों
मगर , मिले थे
बस कुछ क्षण
जुदा होने के लिए
जुदा होने के लिए ….।
2. तूफान
वो चला गया दूर
मुझसे
मेरी जिन्दगी से
मेरी खुशियों से
मेरी कविताओं से
ये समझ न आए
वो कैसे दूर हो गया ?
दूर भी ऐसे , जैसे ;
कोई गैर हो जाता है।
यूँ आया था ,
ज़िन्दगी में हवा का झोंका बनकर,
चला गया बिखेर ,
मुझको
जैसे ;
तूफ़ान सूखे पत्तों को बिखेर जाता है।
अनुराधा
तह. व डा.- नालागढ़
जिला – सोलन (हिमाचल प्रदेश)