आपके क्या कारण हैं?
भोग विलासी, अत्याचारी,
चाहे राजा हो दुर्व्यव्हारी।
यशोगीत वो गाते थे,
दिन को कह दे रात अगर वो ,
तो रात ही बताते थे।
ये तो उनका काम था,
इसी से चुल्हा जलता था।
क्यों ना...
ख़ामोश (कविता)
ख़ामोश
क्यों खामोश हैं सब इतने,
क्यों कोई कुछ बोलता नहीं ।
क्यों सह रहे हैं सब कुछ,
क्यों खूँ खौलता नहीं ।
जल रहें है घर गैरों के,
क्यों ना कुछ रो लें हम।
या...
कोरोना के साथ और कोरोना बाद
कोरोना जिस तरह से वैश्विक हुआ है शायद ही इससे पहले कुछ इस तरह वैश्विक हुआ होगा, यहाँ तक कि दो दो विश्व युद्ध हुए और रूस अमेरिका का...
यूँ ही
ईश्वर हमारी कृति है,
मंदिर में प्रवेश तुम्हारी गुस्ताखी है ।
आस्था, आशीर्वाद, पूजा हमारे हिस्से,
तुम्हारे लिए ईश्वर का डर ही काफी है ।
रोटी - बेटी की बात तो सोचो ही...
कविता- तृतीय विश्व युद्ध
कविता - तृतीय विश्व युद्ध
विकास के पहिए
शहरों की ढेर सारी आबादी को
वापिस छोड़ आए हैं गांव
ये कहकर,
कि यही है सबसे सुरक्षित ठिकाना
अनिश्चितकाल के लिए गांव की प्रतिष्ठा में
लग गए...
क्योंकि मैं इन्सान नहीं (कविता)
क्योंकि मैं इन्सान नहीं।
मैं हिंदू हूं, मैं मुस्लिम हूं,
मेरी और कोई पहचान नहीं,
क्योंकि मैं इंसान नहीं।
अपनों की छोटी सी चोट पर,
जो खून खौलता है मेरा,
गैरों की...