तुम ही मेरी कविता हो।

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बस एक नजर
देखने भर से तुम
जैसे ह्रदय मे उतर आती हो,
हज़ारों परियां
सुन्दरता का शगुन लेकर
जैसे आँखों मे ठहर जाती हो,
तुम्हारी हलचल को ही
तो सहेजता रहता हूँ हरपल
तुमसे निकली ,
तुम ही तो, मेरी कविता हो……!

मुझे देखकर
तुम कुछ कहती भी नहीं
लेकिन कह भी बहुत देती हो,
नैनो से बरस के
निस्पंद आकृति की तरह
प्रियतम सी ढल जाती हो,
और कुतरने लग जाती है
ये तुम्हारी कही,
तुमसे निकली ,
तुम ही तो, मेरी कविता हो……!

तुम अपनी चहल पहल से
लिखती ही जाती हो,
एक कविता
मेरे दिल पर,
एक प्रेम के उस क्षितिज पर
और बहती ही जाती हो,
भावनाओं के समंदर से
नैनो के तट तक,
तुमसे ही निकली
तुम ही तो, मेरी कविता हो…..!

3 COMMENTS

  1. दिल की गहराइयों से निकली एक खूबसूरत और दिल को छू लेने वाली कविता

    • बहुत बहुत आभार आपका। कभी कभी भावनाएं गगन छूँ लेती है, शब्द पैर पसारने लगते है कागज पर, मन उद्विग्न हो जाता है उगलने को…उसकी ही छोटी सी प्रति आपके समक्ष प्रस्तुत की है।

      • कवि मन चंचल, बहुत अच्छा प्रयास, नमन !

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