हिंदी हिंद की शान है,
बिंदी जिसकी पहचान है।
हिंदी जननी है मातृभाषा
अभिमान है,
जिस पर हमे आता।
फूल पत्तों जैसी
ये खिलती।
हर भाषा में जा,
ये गुल मिलती।
स्वर व्यंजन
जिसकी पहचान है।
संयुक्त वर्ण
जिसकी शान हैं।
अर्ध अक्षर भी जिसका
देता भाषा में,
एक नई जान है।
हिंदी हिंद की शान है,
बिंदी जिसकी पहचान है।
राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल,ठाकुरद्वारा।
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