हिमाचली साहित्य कविता- “वक्त” By super_RK - September 24, 2018 0 Facebook Twitter Pinterest WhatsApp वक्त का क्या कोई मोल है? वक्त बड़ा अनमोल है। जो वक्त की कीमत जानता है, उसे जमाना मानता है। हम ही बहते जाते हैं इस वक्त की धार में, वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में कम है वक्त बड़ा इस जीवन में , गुजार ना इसे तकरार में। बन जाएगी बड़ी हसीन ये जिंदगी , गुजार इसे तू प्यार में । खुश होते हैं सभी जीत के, खुशियां ढूंढ तू हार में । वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में। वक्त को बर्बाद ना कर, ये वक्त बड़ा बलवान है। कद्र करे जो वक्त की, वही असली धनवान है। गर करेगा तू बर्बाद वक्त को, फस जाएगा, वक्त की दोधारी तलवार में । वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में । पहले तो वक्त गंवाते हो, फिर बाद में तुम पछताते हो। इस पछतावे के चक्कर में,आज का वक्त गवाते हो। जो बीत गया उसे भूल जा तू , चल साथ -साथ इसकी रफ्तार में, वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में। राजेंद्र कुमार