बाल कविता – कुमारी संजना की कविता
बाल कविता - कुमारी संजना की कविता
गुरु हमें शिक्षा सिखाते,
जिदंगी मे आगे बढ़ने की राह दिखाते।
गुरु हमें संस्कार सिखाते,
अच्छे कर्मों को करने की राह दिखाते।
गुरु हमे सच बोलना...
राजीव डोगरा की कविता – क्या तब?
कविता - क्या तब?
तप्त अग्नि में जलकर
राख हो जाऊंगा।
एक दिन मिट्टी में मिलकर
खाक हो जाऊंगा।
तब मिट्टी को रौंदकर
क्या मुझे याद करोगे?
झूठे ख्वाबों की शायरी से
क्या मेरा इंतजार करोगे?
करना है...
राजीव डोगरा की कविता – गुलाम आज़ादी
कविता- गुलाम आज़ादी
मुबारक हो,
मुबारक हो
आज़ाद हिंद के
गुलाम नागरिकों को
आज़ादी मुबारक हो।
गुलाम हो,
गुलाम हो
आज भी तुम
अपने कामुक विचारों के
गुलाम हो।
शिकार हो,
शिकार हो
आज भी तुम
गली चौराहों में
घूमती फिरती
अपनी गंदी नज़र
का शिकार...
हो खत्म ये आरक्षण।
समाज के हर स्थान में,
हर ऐश में आराम में,
हर अच्छे बड़े काम में,
मंदिरों के अनुष्ठान में,
हर नृत्य में हर गान में,
कुएं में, तालाब में,...
आलेख – दूषित राजनीति दूषित लोग
आलेख - दूषित राजनीति दूषित लोग
आज हम भारत की राजनीति की बात करें तो वह पूरी तरह दूषित हो चुकी है।इसके लिए हम किस को जिम्मेवार ठहरा है।कुछ समझ...
राजीव डोगरा की कविता – दर्द मिटा दूँगा
कविता- दर्द मिटा दूँगा
तेरे दर्द को अल्फ़ाज़ दूंगा,
मत सोच तू अकेला हैं
हर कदम पर तेरा साथ दूंगा।
दर्द का समुंदर जो तेरे अंदर,
नित्य रफ़्ता रफ़्ता बहता है
उसको भी एक दिन...