राजीव डोगरा की कविता – गुलाम आज़ादी

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कविता- गुलाम आज़ादी

मुबारक हो,
मुबारक हो
आज़ाद हिंद के
गुलाम नागरिकों को
आज़ादी मुबारक हो।

गुलाम हो,
गुलाम हो
आज भी तुम
अपने कामुक विचारों के
गुलाम हो।

शिकार हो,
शिकार हो
आज भी तुम
गली चौराहों में
घूमती फिरती
अपनी गंदी नज़र
का शिकार हो।

बेहाल हो,
बेहाल हो
आज भी तुम
जाति बंधन के
कटु नियमों से
बेहाल हो।

गुलाम हो,
गुलाम हो
आज भी तुम
धर्म के नाम पर
वोट लेते नेताओं के
कटु विचारों के
गुलाम हो।

मुबारक हो,
मुबारक हो
आज़ाद हिंद के
गुलाम नागरिकों को
आज़ादी मुबारक हो।

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल,ठाकुरद्वारा, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश।
पिन कोड – 176029