हो तपती गर्मी या हो सर्दी,
उगाई फ़सलें तूने सदियों, हर मौसम की मार में।
तू कौन है?
जो आ खड़ा है, महल के द्वार में ।
चुप ही था तु तो सदा,
सर झुका रहता था तेरा, हर दुख में हर हार में।
ऊँचा है सर, आवाज़ भी ऊँची क्यों है अबकी बार में,
तू कौन है?
जो आ खड़ा है, महल के द्वार में ।
नंगा बदन, फटे चिथड़े,
पहचान तेरी ये रही, किसीआम दिन चाहे त्योहार में।
साफ कपड़ो में,
तू कौन है?
जो आ खड़ा है, महल के द्वार में ।
किसान तो तू है नहीं, बात ये कुछ और है,
जो हिल रहा है सिंहासन, तेरी एक दहाड़ में।
तू कौन है?
जो आ खड़ा है, महल के द्वार में।
राजा की बात मान ले, चाहे बात हो कोई।
ना माना तो दुश्मन है, या है तू देश द्रोही। तुझको चुप करवा देंगे हम,
झूठे आरोपों की बौछार में,
तू कौन है?
जो आ खड़ा है ,महल के द्वार में।
-super RK
Thank you!!1