समाज के हर स्थान में,
हर ऐश में आराम में,
हर अच्छे बड़े काम में,
मंदिरों के अनुष्ठान में,
हर नृत्य में हर गान में,
कुएं में, तालाब में, पानी के हर स्थान में,
अच्छे परिधान में, सामाजिक खानपान में,
सदैव प्रथम अधिकारी जो रहे हैं हर क्षण,
बिन ज्ञान बिना योग्यता, न दिया कोई परीक्षण,
सदियों से विद्यमान है समाज में ये आरक्षण।
है नहीं ये जरा भी लोकतंत्र का लक्षण,
हो रहा है सदियों से लोकतंत्र का भक्षण,
कचोटता है मन को ये हर लम्हा हर क्षण,
सब की ये आवाज हो…..
हो खत्म ये आरक्षण।
हो खत्म ये आरक्षण॥
-राजेन्द्र कुमार