Home हिमाचली साहित्य कविता- “वक्त” हिमाचली साहित्य कविता- “वक्त” By super_RK - September 24, 2018 1384 0 Facebook Twitter Pinterest WhatsApp वक्त का क्या कोई मोल है? वक्त बड़ा अनमोल है। जो वक्त की कीमत जानता है, उसे जमाना मानता है। हम ही बहते जाते हैं इस वक्त की धार में, वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में कम है वक्त बड़ा इस जीवन में , गुजार ना इसे तकरार में। बन जाएगी बड़ी हसीन ये जिंदगी , गुजार इसे तू प्यार में । खुश होते हैं सभी जीत के, खुशियां ढूंढ तू हार में । वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में। वक्त को बर्बाद ना कर, ये वक्त बड़ा बलवान है। कद्र करे जो वक्त की, वही असली धनवान है। गर करेगा तू बर्बाद वक्त को, फस जाएगा, वक्त की दोधारी तलवार में । वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में । पहले तो वक्त गंवाते हो, फिर बाद में तुम पछताते हो। इस पछतावे के चक्कर में,आज का वक्त गवाते हो। जो बीत गया उसे भूल जा तू , चल साथ -साथ इसकी रफ्तार में, वक्त कहां रुका करता है किसी के इंतजार में। राजेंद्र कुमार RELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR नफ़रत के बीज (कविता) सही गलत (कविता) महल के द्वार में । LEAVE A REPLY Cancel reply Please enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address! Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Δ 102FansLike3FollowersFollow Recent Posts किन्नौर डायरी – सांगला से सांगला कंडे की सैर super_RK - July 15, 2018 0 कविता- “वक्त” super_RK - September 24, 2018 0 सविंधान की राह तलाशती पहाड़ी भाषा। Spersh Chauhan - June 20, 2018 0 अनछुई प्रकृति : मुंदलीधार super_RK - May 25, 2019 0 कविता-आस्तिक या नास्तिक? super_RK - August 21, 2018 0