पराशर झील – मण्डी जिला की उतरशाल पहाड़ियों पर स्थित यह छोटी सी प्राकृतिक झील सबको अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। यह झील समुद्र तल से तक़रीबन 2700 मीटर की ऊंचाई पर है। मण्डी से पराशर झील की दुरी 50 किलोमीटर और कुल्लू से 64 किलोमीटर है। इस झील में गोल आकर का छोटा सा टापू लगातार घूमता रहता है, इस टापू को अगर कुछ महीनों के अंतराल पर देखेंगे तभी इसके घूमने की स्थिति को आभाषित किया जा सकता है। झील के पानी का प्राकृतिक स्त्रोत वर्षा और बर्फ का पानी ही है।
ऐसा माना जाता है कि इस झील का नाम पराशर ऋषि के नाम पर पड़ा है जिन्होंने इस स्थान पर तप किया था, झील के किनारे पराशर ऋषि का पहाड़ी शैली में बनाया गया सुन्दर मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण मण्डी के राजा बाण सेन ने 14वीं शताब्दी को करवाया था।
झील के किनारे पर ढलानदार घास का सुन्दर मैदान है, जहाँ पर बैठ के इस रमणीक स्थान को निहारने का आनंद लिया जा सकता है। गर्मियों में पराशर झील के लिए काफी सैलानी आते हैं, यहाँ का मौसम गर्मी के समय में भी ठण्डा और सुहावना होता है और इस मौसम में यहाँ काफी तेज़ हवा भी चलती है। पराशर झील से हिमालय की ऊँची और बर्फ से ढकी पहाड़ियों का अवलोकन करना अपने आप में अनूठा अनुभव है।
पराशर की हरी भरी घास की ढलानों पर पालतू पशु चरते हुए देखे जा सकते हैं, यहाँ सैर करने वाले यात्री भी अपनी थकान मिटाने के लिए इन्हीं ढलानों पर आराम करते देखे जा सकते हैं, पिकनिक मानने आये लोग इन ढलानों पर खाने से साथ साथ गानों और नृत्य इत्यादि का आनंद भी लेते हैं।
मण्डी से पराशर जाती बार आपको कमांड के पास आईआईटी मण्डी का नया बन रहा संस्थान देखने को मिलेगा। मण्डी से बागी तक सड़क ठीक ठीक ही है पर बागी से पराशर झील तक की सड़क काफी दयनीय स्थिति में है। साथ ही सड़क कई जगह पर काफी संकरी और कहीं कहीं तीखी चढ़ाई और मोड़ भी हैं, बागी से पराशर तक जाते हुए आप ऊँचाई के साथ कैसे वनस्पति में बदलाव होता है देख सकते हैं, नीचे नीचे आपको चीड़ के जंगल मिलेंगे, फिर बान, कायल और देवदार के जंगल आएंगे। जब आप पराशर झील के लगभग 5 किलोमीटर पीछे रह जायेंगे फिर आपको घास की ढ़लाने मिलेंगी। बाग़ी से पराशर झील तक का सफ़र काफ़ी रोमांचक होता है।
जून महीने में पराशर झील में 3 दिवसीय जिला स्तरीय मेलों का आयोजन होता है। मण्डी और आस पास के क्षेत्रों के लोग इन मेलों में काफ़ी संख्या में आते हैं।
बागी से पराशर के लिए पैदल रास्ता भी है, जो लोग ट्रैकिंग के शौक़ीन हो उनके लिए ये 5 किलोमीटर का छोटा ट्रेक उपयुक्त है। पराशर झील घूमने का सही समय गर्मियों का मौसम है, इस समय यहाँ का मौसम काफ़ी सुहावन होता है और प्राकृतिक नज़रों को भी निहारा जा सकता है। सर्दियों में पराशर झील में बर्फ पड़ती है जिसकी वजह से यहाँ पहुंचने में दिक्कत आती है। बरसातों में पराशर झील न ही जाएँ तो बेहतर होगा, क्योंकि पहाड़ों से पत्थर और मालवा खिसकने का खतरा बना रहता है।
झील के पास दो सरकारी रेस्ट हाउस हैं। रेस्ट हाउस के अलावा झील के समीप कुछ दुकानें, ढाबे और गेस्ट हाउस भी हैं।
पराशर झील के बारे में अधिक जानकारी यहाँ से भी प्राप्त की जा सकती है – लिंक पर जाएँ !
पराशर झील की कुछ तस्वीरें –
Comment: बहुत शानदार हिमाचल। सुन्दर जानकारी।