हिमाचल की स्पीति घाटी में रोमांच का सफ़र, जाने क्या क्या है देखने योग्य

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हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी शीत मरुस्थल है, जहाँ साल में ज़्यादातर वक्त बर्फ़ रहती है, कठिन भगौलिक परिस्थितियां के बावजूद स्पीति में घूमना किसी रोमांच से कम नहीं। स्पीति में बहुत कम वनस्पति है, हर तरफ रेत के पहाड़ हैं, ऊँचे ऊँचे पहाड़ों पर सारा साल बर्फ रहती है। स्पीति को लामाओं की धरती भी कहा जाता है, स्पीति नदी जो कुंजुम पास से निकलती है और स्पीति घाटी के मध्य से गुजरते हुए खाब के पास सतलुज नदी में मिलती है।

 

स्पीति घाटी के लोगों की संस्कृति तिब्बत से मिलती जुलती है क्योंकि प्राचीन काल में स्पीति कुछ समय के लिए तिब्बत के अंतर्गत आती थी। स्पीति और तिब्बत की भगौलिक और संस्कृति मिलती जुलती है। स्पीति में अनेक प्राचीन बौद्ध मठ हैं जिन्हें देखने के लिए देश – विदेश से हर साल हजारों लोग आते हैं।

स्पीति में अनेक तरह की साहसिक गतिविधियां होती है जिनमे ट्रेकिंग प्रमुख हैं, स्पीति में बहुत सारे ट्रैकिंग रूट हैं। ट्रैकिंग के आलावा कैंपिंग, जीप सफ़ारी, बाइकिंग के लिए भी स्पीति काफ़ी प्रसिद्ध है। यहाँ की खूबसूरत वादियां, झीलें, बर्फ़ से ढके ऊँचे-ऊँचे पहाड़, साफ़ और शांत वातावरण अपने आप ही अपनी तरफ आकर्षित करता है. अत्यंत ही सुन्दर इस स्पीति घाटी में अनेक दर्शनीय स्थान भी हैं, जिनमें से प्रमुख हैं –

काज़ा – काज़ा स्पीति घाटी में मुख्य कस्वा है, स्पीति नदी के तट पर बसा काज़ा पूरी घाटी के लिए एक व्यापारिक केंद्र है, यहाँ तक़रीबन सभी सुविधाएँ उपलब्ध है, काज़ा पूरी घाटी से जुड़ा हुआ साथ ही हिमाचल के अन्य शहरों के साथ भी जुड़ा हुआ है। स्पीति में एक बहुत पुराना बौद्ध मठ है, यहाँ पर छोटा सा बाजार भी है जहाँ जरुरत का सब सामान मिल जाता है, काज़ा में अनेक होटल भी हैं जहाँ स्पीति घूमने आये पर्यटन अक्षर रुकते हैं। काज़ा समुद्र तल से तक़रीबन 3650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

ताबो – विश्व प्रसिद्ध ताबो बौद्ध मठ जिसे हिमालय की अंजता एलोरा भी कहा जाता है। यह मठ बहुत पुराना है और बौद्ध धर्म का काफ़ी महत्वपूर्ण स्थान है यह 999 AD में बना था। ताबो में मठ के गेस्ट हाउस अलावा अनेक होटल और रेस्टोरेंट हैं।

ढँकार गोम्पा और झील – ढँकार गोम्पा 17 सदी में स्पीति की राजधानी हुआ करती थी यह स्पीति में मौजूद पांच प्रमुख बौद्ध केंद्रों में से एक है। ढँकार गोम्पा स्पीति और पीन नदी के संगम स्थल के पास स्थित है। यहाँ पुराने किलों के खंडर भी मौजूद हैं, ढँकार झील जो ढँकार गोम्पा से 3 किलो मीटर ऊपर है तक छोटा ट्रेकिंग रूट भी है। ढँकार गोम्पा तक़रीबन 4000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

की गोंपा – की और कई गोंपा स्पीति का सबसे प्रमुख बौद्ध मठ है या एक पहाड़ी पर 4160 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्पीति की सबसे बड़ी मोनेस्ट्री है और एक मुख्य बौद्ध शिक्षा केंद्र है। यहाँ हर साल जुलाई के महीने में मेला लगता है जो स्पीति घाटी का सबसे प्रमुख त्यौहार है। की गोंपा काज़ा से 12 किलोमीटर है। की गोंपा काफी सूंदर मोनेस्ट्री है, इसका आर्किटेचर देखने योग्य है। दूर से की मोनेस्ट्री एक किले की तरह दिखती है।

किब्बर – किब्बर के सूंदर गांव है जो 4270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यह एशिया का सबसे ऊँचा गांव हैं जो बस योग्य रोड से जुड़ा हुआ है। साथ ही सबसे ऊंचाई पर स्थित गांव है जहाँ लोग 12 महीने रहते है। किब्बर में दुनिया का सबसे ऊंचाई पर स्थिर चुनाव केंद्र भी है, गांव में करीब 100 घर है जिनका निर्माण अलग ही शैली में हुआ है। चारोँ तरफ से खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ किब्बर बहुत ही सुन्दर है। किब्बर में बर्ड लाइफ सेंचुरी भी है जो 3600 – 6700 मीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है, किब्बर से लद्दाख के लिए एक ट्रेक भी है जो प्रांगला पास से हो कर जाता है। किब्बर में ठहरने के लिए गेस्ट हाउस मौजूद है।

स्पीति घाटी में पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं एक शिमला से होकर जाता है जो किन्नौर के गुजरता हुआ स्पीति पहुँचता है, शिमला से काज़ा की दुरी करीब 400 किलोमीटर है, यह रास्ता राष्ट्रीय राजमार्ग 22 (हिन्दोस्तान तिब्बत मार्ग से भी जाना जाता है) से हो कर जाता है, यह दुनिया के अति दुर्गम सड़कों में से एक है, गहरी खाइयों और भयानक मोड़ों से गुजरने वाली सड़क से हो कर स्पीति पंहुचा जा सकता है, यह रास्ता कोई कम रोमांचक नहीं है, इस रूट में और भी अनेक देखने योग्य स्थान आते है, जैसे कि शिमला, नारकण्डा, रामपुर, कल्पा, नाको झील इत्यादि। यह सड़क साल के ज्यादातर वक्त खुली रहती है। पर सर्दियों में सफर जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि ज्यादा बर्फ़बारी से हिमस्खलन का खतरा रहता है।

दूसरा रास्ता मनाली से काज़ा का है जो 205 किलोमीटर लम्बा है, यह सड़क दो ख़तरनाक दर्दों से गुजरती है और सिर्फ कुछ महीनों के लिए ही खुलती है, रोहतांग पास और कुंजुम पास से गुजरने वाले इस रोड से काज़ा पहुंचना थोड़ा मुश्किल होता है, एक तो रोहतांग और कुंजुम पास में मौसम कभी भी ख़राब हो सकता है और दूसरा इस सड़क पर कभी भी कहीं भी पहाड़ गिर सकते है, सड़क से होकर बहने वाले नालों से हो कर गुजरने वाली यह सड़क काफी खतरनाक और जोखिम भरी है। इस रोड से सुबह के समय गुजरना उचित रहता है दिन के समय किसी भी वक़्त ऊँचे पहाड़ों से बर्फ पिघलने के कारण पानी आ जाता है और सड़क अबरुद्ध हो जाती है।

साहसी पर्यटकों के लिए ये रास्ते हमेशा से प्रिय रहे हैं, अक्षर लोग इन सड़कों से जीप सफारी और बाइकिंग करते है।

स्पीति में सर्दियों में भी शिमला के रास्ते जाया जा सकता है और, बर्फ के बीच स्पीति की खूबसूरती का मज़ा लिया जा सकता है। स्पीति घाटी के लोग काफी मिलनसार हैं और स्पीति में गुजरा वक़्त जिंदगी भर एक यादगार रहता है।

फ़ोटो सौजन्य – TheTraveler.in

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